यदी बहूत तेज बुखार को जल्दी ही कम न किया जाए तो वह बहूत खतरनाक हो सकता है. इस से दौरे (कन्वाल्सह्न्स) पड़ने लगते है. कई बार तो इसके कारेन स्थाई रूप से दीमाग की शांति (अद्रंग, मानसिक दिमापन, मिर्गी आधी हो सकती है!
जब बुखार बहूत तेज (४० डीग्री से ऊपर हो तो उसे तुंरत कम किया जाना चाहिए)
ठंडा पानी उसके ऊपर ढालें याः कपड़े को ठंडे पानी मै भिगोकर व्यक्ति के माथे, बाँहों, टांगों पर रखे. इन कपडों को ठंडा रखने के लिए पंखे से हवा कारेन और कपड़े बदलते रहें. जबतक बुखार ३८ डीग्री से नीचे न आए, तब तक यह कार्य करते रहें . इस कार्य के लीयेह बरफ का ठंडा पानी कभी इस्तःमाल ना क़रेह, कयोंकी इस से कम्कापी छुते सकती है और बुखार घटने की बजयेह और जादा बढ़ सकता है!
बुखार मै व्यक्ती की शक्ती कम हो जाती है. इस्लियः शक्ती को बनाइये रखने के लीए उसहे ठंडे
पानी मै थोरा सा नमक, चेनी, यहाँ गुर मिलकर दातेह रहे !
बुखार को कम करने के लीयेह दावा दें. परासितामोल प्रभाशाल्ली है!
सोर्स: जहाँ डाक्टर न हो!
Saturday, October 18, 2008
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