गलफड़े क्या है ?
गलफडे या पैरोटाइटिस लार ग्रन्थि (पैरोटिड ग्लैंड) का एक इन्फेक्शन है । यह फैलकर शरीर के अन्य अवयवों जैसे अण्डकोष (टेस्टीज) अंडग्रथि (ओवरीज), अग्नाशय को भी प्रभावित करता है । इसमें कई रोगियों की श्रवण क्षमता भी प्रभावित होती है ।
यह कैसे होता है ?
टीकाकरण न किये हुए बच्चे और युवकों में हवा द्वारा वायरल इन्फेक्शन हो सकता है । यह वायरस लार ग्रन्थियों में सूजन उत्प कर शरीर में अन्य लक्षण भी करता है । यह इन्फेक्शन इस स्थिति में स्वतः ही शान्त हो जाता है, अन्यथा रक्तसंचार द्वारा फैलकर शरीर के अन्य अवयवों को भी प्रभावित करता है । अधिकतर बार यह मंद इन्फेक्शन होता है किन्तु दुर्लभ अवस्था में युवकों में टेस्टीज में सूजन आ जाती है । यह दोनों टेस्टीज में होने पर वध्यता भी कर सकता है ।
यह इन्फेक्शन एक ही बार होता है । इसके बाद व्यक्ति जीवन पर्यन्त इम्यून हो जाता है । गलफड़े का प्रभावकारी टीका भी उपलब्ध है । जो कि सामान्य टीकाकरण में सम्मिलित होता है और बच्चों को बाल्यावस्था में इस रोग से बचाता है ।
गलफड़ों का मुख्य लक्षण क्या हैं ?
लार ग्रन्थियों का एक ओर से या दोनों ओर से सूजना इसका लक्षण होता है ।
* बुखार, बेचैनी, भूख न लगना, सिरदर्द और कानों और गले का दर्द भी होता है ।
* दुर्लभतया, इन्फेक्शन फैलने से अण्डकोषों में सूजन आकर दर्द, पेट का दर्द, सुनने की तकलीफ और पैनक्रियाटाइटिस होती है ।
इसका निदान कैसे होता है?
लार ग्रन्थि की सूजन मात्र ही इसका निदान है और इन्फेक्शन के निदान के लिए पर्याप्त है । निदान के लिए वायरल एंटीजन की रक्त परीक्षा की जरूरत दुर्लभ होती है ।
इसका इलाज कैसे होता है ?
गलफड़ों का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है । लक्षणों के आधार पर सहायात्मक चिकित्सा ही पर्याप्त होती है । इसमें बर्फ का सेक, नमकीन कुनकुने पानी के गरारे, सादा नर्म आहार और दर्द होने पर दर्द निवारक दवा ही काफी है ।
एस्पीरिन, विशेषकर बच्चों में टाली जानी चाहिए क्योंकि इससे रेई का रोग होकर लीवर और रक्त रिसाव हो सकता है ।
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